हर रोज हम बहुत सारी मुश्किलों का सामना करते हुए रात का खाना खा कर सोजाते हैं , और सपनों में भी उन्ही मुश्किलों का सामना करते रहते हैं की जाने कब सुबह हो जाती है पता हीं नही चलता। इनमे से बहुत सारी मुसीबते यूँ हीं चलते फिरते किसी की जुबां से निकले ध्वनियों से दिल और मष्तिस्क को बुरी तरह जख्मी कर जाती है और फिर उसी उलझन में हम अपनी दिन रात बिता देते हैं । हम कमज़ोर पड़ जाते हैं और दुसरे लोगों द्वारा मिले मुफ्त की तनाव मैं फँस जाते है, और मुफ्त में अपनी मेहनत से कमाई गई रोटी से जो खून बनता है उसे भी जला बैठते हैं । इस दौरान हमें इसका इल्म नहीं होता है, पर ज्योहीं हाइपरटेंशन या डिप्रेशन जैसी बिमारियों के घेरे मे आते हैं तो फिर इस चक्रव्यूह में फँसे होने का एहसास हो जाता है ।
तो क्यों न हम उन लोगो द्वारा फैलाये जा रहे मानसिक प्रदूषण से खुद को बचालें जो हमें और हमारी पारिवारिक शांति को नुकसान हीं पहुंचाएगा । कलर्स चैनल पर दिखाए जा रहे बिग बॉस कार्यक्रम में मनोरंजन हीं सही पर एक मनोवैज्ञानिक प्रयोग है जिसमे हाल ही में कुछ नए लोग घर में थोड़े समय के लिए आये और घर वालों को उनके द्वारा किये गए क्रियाओं या घटनाओं पे ध्यान नहीं देने का निर्देश बिग बॉस द्वारा दिया गया था । और उन लोगों ने बहुत से सामानों को बिखेरा और ढेर सारे अंडे फोड़ दिए तब भी किसी ने चूँ तक नहीं किया ।वैसे तो ये लोग छोटी- छोटी बातों पर लड़ते रहते हैं । तो फिर हम क्यों नहीं रियल के बिग बॉस कि सुने जो हमे खुश रखने के लिए न जाने कितने बहाने देता है और कहता है की कुछ नज़रन्दाज़ करें।
तो दम है तो अपने बिगबॉस के निर्देश को समझिये उन्होनो ने भी किसी को टाश्क दिया है की आपको अपनी क्रियाओं तथा घटनायों को अंजाम दे कर नकारात्मक रूप से प्रभावित करें क्योंकि खुशियों को पाना बहुत हीं मुश्किल है ।